Thursday, May 5, 2011

बाल साहित्य - मेरे कुछ विचार

इधर बाल साहित्य को लेकर हिंदी में कुछ बड़े और चुनौतीपूर्ण काम हुए हैं या उन्हें करने का संकल्प सामने आया है। इधऱ के कुछ वर्षों में जो सबसे बडा काम हुआ है, वह मेरे खयाल से कृष्ण शलभ द्वारा किया गया हिंदी की एक से एक बेहतरीन और चुनिंदा बाल कविताओं का संचयन था, बचपन एक समंदर। यह काम शलभभ ने जिस ईमानदारी और शिद्दत से किया है और उसके लिए जहाँ-जहाँ उन्हें भटकना पड़ा है, उसकी कल्पना ही की जा सकती है। पर उनकी इस बड़ी धुन और उसे पूरा करने की गहरी तड़प का मैं गवाह हूँ। और कहना चाहिए उनके इस प्रयत्न या योजना में किसी हद तक सहभागी भी। सच तो यह है कि यह काम इतनी गहरी समझदारी और बड़े विजन के साथ किया गया है कि मैं निस्संकोच कह सकता हूँ कि यह काम कृष्ण शलभ ही कर सकते थे। उन्होंने एक इतना ऊँचा मयार बना दिया हहै कि उसे लाँघ पाना आगे आने वाले समय में सचमुच बड़ा कठिन होगा। उनकी यह पुस्तक एक लाइट हाउस की तरह बहुत समय तक रोशनी देती रहेगी।
अब कृष्ण शलभ शिशुगीतों पर भी इतना ही बड़ा काम कर रहे हैं। इसी सिलसिले में वे हमारे घर भी आए और उनकी इस असाधारण धुन ने हमारे घर में हर किसी को प्रभावित किया।
बाल साहित्य में ऐसे कुछ बड़े काम हों तो उन सभी को खुद ब खुद उत्तर मिल जाएगगा जो अब भी यह कहने की धृष्टता करते हैं कि आखिऱ हिंदी के बाल साहित्य में ऐसा है ही क्या।
और हाँ, अभी नागेश पांडेय ने बालमंदिर ब्लाग में हिंदी के सभी बाल साहित्यकारों को एक मंच पर लाकर एक ऐसा ही बड़ा काम किया है जिससे बाल साहित्य में सार्थक संवाद बढ़ेगा, और बड़े कामों की भूमिका बनेगी। हम सभी को इसमें सहयोग देना चाहिए।- प्र.म.

2 comments:

  1. वाह !आपकी अछूती बातें कलेजे को छूती हैं . लेकिन प्लीज , ....ABOUT ME से मरने की बात हटा दें . भगवान आपको लम्बी उम्र दे . आप समर्थ हैं . परिपक्व सोच के धनी . आपने बाल साहित्य का मानवर्धन किया है . एक क्रांति के संवाहक हैं आप. बाल साहित्य सदा आपका ऋणी रहेगा .निश्चित ही ... आप आगे भी बहुत कुछ करेंगे ... और बहुत ही ज्यादा .. महत्वपूर्ण . सबको इसका यकीन है . आप सदा स्वस्थ रहें , भगवान से यही कामना है

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  2. प्रिय नागेश, मैं अंदर से बहुत दुखी और आहत हूँ। बल्कि सही तो यह है कि धधक रहा हूँ। पर इस धधकने को किसी खराब अर्थ में मत लेना। असल में कुछ चीजों से मुझे बहुत गहरी चोट पहुँची है। काश, मैं तुमसे शेयर कर पाता। पर अभी तो नहीं कर पाऊँगा। थोड़ा मुझे शांत हो जाने दो। तुमसे शेयर भी करूँगा और जिन शब्दों की ओर तुमने इशारा किया है, उन्हें परिचय से हटा ही दूँगा। पर फिलवक्त तो ये शब्द मेरी मनःस्थिति के बारे में बहुत कुछ कहते हैं, इसलिए हैं। बहुत-बहुत प्यार सहित, मनु

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