अब अपने ब्लाग यानी चिट्ठे पर निरंतर मन की ऊहापोह को लिखने का निश्चय किया है। इससे मन की बहुत सारी चिंताओं और उधेड़बुन को बाहर आने का रास्ता मिला है। उम्मीद है कि यह साहित्यिक चिट्ठा कुछ नया करने की प्रेरणा बनेगा। और मित्रों से सार्थक संवाद तो होगा ही।।
लिंक यह है-
prakashmanu-varta.blogspot.com
प्र.म.
और हाँ, मित्रों के साथ-साथ खुद से भी संवाद के मौके मिलेंगे। आज की तेज भागमभाग और ऊहापोह वाली जिंदगी में मैं समझता हूँ, ऐसे मौके भी कुछ कम महत्व नहीं रखते।
ReplyDeleteआज अभिनव सृजन में देखें --
ReplyDeletehttp://abhinavsrijan.blogspot.com/
बालगीत : डा. नागेश पांडेय 'संजय'
हन्नी-हन्नी-हन्नी
कागा ले चवन्नी ,
कर मेरे सँग हन्नी
हन्नी-हन्नी-हन्नी .
मैं जरूर पढ़ना चाहूँगा नागेश। धन्यवाद। सस्नेह, प्र.म.
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