एक पुराना फोटो सुनीता जी के साथ। विवाह के कुछ ही समय बाद हम फतहपुर सीकरी देखने गए थे। मैं समझता हूँ, यह कोई सन 1979 की बात रही होगी। एक यादगार यात्रा थी, जिसके कुछ फोटो भी एक फोटोग्राफर ने खींचे थे। उन्हीं में से एक कुछ अलग सा फोटो। यानी तकरीबन बत्तीस साल हो गए, हालाँकि उम्र का पहाड़ भी मन में सोए हरियाली के अंकुर को खतम कहाँ कर पाता है-
.....उम्र का पहाड़ भी मन में सोए हरियाली के अंकुर को खतम कहाँ कर पाता है .... बिलकुल ठीक कहा आपने .
ReplyDeleteआपकी चिर परिचित मुस्कान चिर जीवंत रहे यही कामना है .
एक लंबे सफर की याद
ReplyDeletehttp://shayaridays.blogspot.com
हालाँकि उम्र का पहाड़ भी मन में सोए हरियाली के अंकुर को खतम कहाँ कर पाता है- यह होना भी नहीं चाहिए
ReplyDeleteधन्यवाद भाई कुलवंत, मुझे खुशी है कि तुम्हें यह फोटो पसंद आया। मेरे जीवन के कुछ यादगार फोटुओं में से यह है, जिसके साथ बहुत-सी मीठी स्मृतियाँ लिपटी हैं। सस्नेह, मनु
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