कल चाहते हुए भी नंदन के साथियों के साथ बिताए क्षणों के ज्यादा चित्र नहीं दे सका था। तरीका ही नहीं पता था। आज छोटी बेटी अपर्णा ने बताया कि चित्र ज्यादा हों, तो कैसे डालेंगे। अलबत्ता उन क्षणों को जब नंदन से सेवामुक्त हुआ था और अजब सी भावानाकुलता से भरा हुआ था, इन फोटोज के जरिए फिर से जी लेने का मन हुआ। तो लगा कि मित्रों के साथ भी इन्हें साझा किया जाए। अलबत्ता, तो वे फोटोज--
क्षमा करें, अब भी कामयाबी नहीं मिली। एक ही फोटो डाल सका हूँ। यह तो चक्कर ही कुछ अजब है। धीरे-धीरे सीखते-सीखते ही सीखूँगा। प्र.म.
No comments:
Post a Comment