tag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post6937313003931048122..comments2018-05-09T02:43:28.219-07:00Comments on Prakash Manu... प्रकाश मनु: सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की अद्भुत बाल कविताPrakash Manu प्रकाश मनुhttp://www.blogger.com/profile/04172383673707393967noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-42336628622721230512016-03-12T09:08:39.418-08:002016-03-12T09:08:39.418-08:00डॉक्टर मनुजी बाल कविता का इतिहास से बारबार गुजरना ...डॉक्टर मनुजी बाल कविता का इतिहास से बारबार गुजरना बाल कविता प्रति सम्मोहित करता है कोशिस्ग कर रहा हूँ बालकविता समझने और रचने की ..<br /> Jaijairam anandhttps://www.blogger.com/profile/12374970648689702763noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-75182436533758788192011-11-22T17:13:40.802-08:002011-11-22T17:13:40.802-08:00sudha ji, aapki pratikriyaen sukhad hain. achchha ...sudha ji, aapki pratikriyaen sukhad hain. achchha lagta hai ki aapne apne bachapan aur bachapan ki smritriyon ko sambhalkar rakha hain. aapka bal sahitya padhne ka man hai. sasneh, manuPrakash Manu प्रकाश मनुhttps://www.blogger.com/profile/04172383673707393967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-34026955547963697292011-11-22T00:20:47.929-08:002011-11-22T00:20:47.929-08:00कविता पढ़कर अपनी जन्मस्थली अनूपशहर की याद आ गईI इ...कविता पढ़कर अपनी जन्मस्थली अनूपशहर की याद आ गईI इसी प्रकार के प्रचलित लोक शब्दों का प्रयोग करते थे जो अपनत्व और फकीरी से भरे हैं Iबाल कविता में इनका समन्वय देख पुलकित हो उठी I<br />सुधा भार्गवसुधाकल्पhttps://www.blogger.com/profile/14287746370522569463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-63877663720253798382011-05-26T03:19:23.989-07:002011-05-26T03:19:23.989-07:00प्रिय मनु जी,
सरवेश्वर जी कि यह पूरी कविता मेरे प...प्रिय मनु जी,<br /><br />सरवेश्वर जी कि यह पूरी कविता मेरे पास है हालांकि आपसे कोई चीज़ जब भी मिलती है उसकी खुशी अलग ही होती है. दर असल सर्वेश्वर जी के पूरे बाल साहित्य पर मैं अपने ब्लॉग पर शीघ्र लिखने वाला हूँ. मेरी लिंक है- www.rameshtailang.blogspot.coom. आपने मेरी बाल कविताओं के वारे में जो लिखा और जैसी सहृदयता से लिखा उसे आप जैसा ही कोई दृष्टा लिख सकता है. आपसे कोई भी संवाद करते समय मैं एक nostaligia में पहुँच जाता हूँ. और क्या कहूँ रमानाथ अवस्थी जी के एक गीत का मुखडा है: अनाहूत ही आ पहुंचा हूँ आज तुम्हारे द्वार, ठुकरादो या प्यार करो ये तो तेरा अधिकार.<br /><br />सादर-रमेश तैलंगरमेश तैलंगhttps://www.blogger.com/profile/05932541742039354339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-91546611880707276932011-05-18T02:47:45.495-07:002011-05-18T02:47:45.495-07:00धन्यवाद तैलंग भाई, यह कविता कभी पूरी दूँगा। बड़ी ह...धन्यवाद तैलंग भाई, यह कविता कभी पूरी दूँगा। बड़ी ही मजेदार कविता है जिसमें कलकत्ते के मेले में अकेले छूट गए किसी अति उत्साही और अधीर बच्चे का वर्णन है। चलो, यहाँ तक तो ठीक, पर जब पता चलता है कि मेले में अगाड़ी-पिछाड़ी के चक्कर में खो गया वह बच्चा असल में योगेंद्रकुमार लल्ला हैं, तो हमारी बेसाख्ता हँसी छूट जाती है। सस्नेह, प्र.म.Prakash Manu प्रकाश मनुhttps://www.blogger.com/profile/04172383673707393967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-77442246612729433382011-05-15T05:51:51.645-07:002011-05-15T05:51:51.645-07:00प्रिय मनुजी
सर्वेश्वरजी कि यह बाल कविता दे कर आपने...प्रिय मनुजी<br />सर्वेश्वरजी कि यह बाल कविता दे कर आपने सचमुच मेरे<br />मन की इच्छा पूरी कर दी. दरअसल में व्यक्तिगत रूप से<br />इसे उनकी इब्नबतूता से भी श्रेष्ठ बाल कविता मानता हूँ.<br />एक तो इसकी उठान ही इतनी प्यारी है फिर उसके ऊपर <br />जो चित्र इस में दृश्यमान होते हैं वे भी अद्भुत हैं. लोक शब्दों<br />का अपना आनंद है. क्या कहूं, शब्द कम पड़ रहे हैं.रमेश तैलंगhttps://www.blogger.com/profile/05932541742039354339noreply@blogger.com