tag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post6533192913107477082..comments2018-05-09T02:43:28.219-07:00Comments on Prakash Manu... प्रकाश मनु: याद आते हैं सत्यार्थी जीPrakash Manu प्रकाश मनुhttp://www.blogger.com/profile/04172383673707393967noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-88640142792069405352011-11-30T00:58:44.253-08:002011-11-30T00:58:44.253-08:00shree prakash manujee,
jay jagat,
mujhe shree deve...shree prakash manujee,<br />jay jagat,<br />mujhe shree devendra satyarthee jee kaa snkshipta jeevan parichay chahiye. khaskar unka janma, unkee rachanaye, puraskaar, mrityu. ise mujhe unke ek sansmaran 'neegro sainik se bhet' me upayog karnaa hai. ek photo bhee ho to theek rahegaa.<br />mera email id hai : prof.pushpendra@gmail.com<br />uttar kee pratikshaa me.<br />pushpendra dubecowlogyhttps://www.blogger.com/profile/01846521924806316639noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-90779729724021544602011-08-13T22:39:37.434-07:002011-08-13T22:39:37.434-07:00प्रकाश मनु जी, शायद आपने ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजे...प्रकाश मनु जी, शायद आपने <b><a href="http://za.samwaad.com/2011/08/blogs-essential.html" rel="nofollow">ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें</a></b> अभी तक नहीं देखीं। यहाँ आपके काम की बहुत सारी चीजें हैं।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-50588656828878742392011-08-13T07:23:33.119-07:002011-08-13T07:23:33.119-07:00bahut khoobsoorat prastutibahut khoobsoorat prastutiS.N SHUKLAhttps://www.blogger.com/profile/16733368578135625431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-35142984986589607202011-07-07T02:20:40.908-07:002011-07-07T02:20:40.908-07:00शुक्रवार को आपकी रचना "चर्चा-मंच" पर है ...शुक्रवार को आपकी रचना "चर्चा-मंच" पर है ||<br />आइये ----<br />http://charchamanch.blogspot.com/रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-32327243699064173662011-06-18T19:39:06.671-07:002011-06-18T19:39:06.671-07:00आदरणीय भाई साहब , इस सप्ताह मैंने अपना ब्लाग अभिनव...आदरणीय भाई साहब , इस सप्ताह मैंने अपना ब्लाग<a href="http://abhinavsrijan.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> अभिनव सृजन</b> </a>आपको समर्पित किया है . कृपया देखेंगे . सादर-साभार, नागेशडॉ. नागेश पांडेय संजयhttps://www.blogger.com/profile/02226625976659639261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-34283996125480167852011-06-01T06:04:56.446-07:002011-06-01T06:04:56.446-07:00Plz. see Today on ---
http://baal-mandir.blogspo...Plz. see Today on --- <br /><br />http://baal-mandir.blogspot.com/<br /><br /><br />पहले बाल कवि का मुद्दा बहुत पुराना है , हिंदी बाल साहित्य के आदि समीक्षक निरंकार देव सेवक जी इस विषय पर अपने ग्रन्थ ''बाल गीत साहित्य'' (प्रकाशन वर्ष - 1966, प्रकाशक - किताब महल , इलाहाबाद ) में विस्तार से लिख चुके हैं <br />मैंने भी इस विषय पर अपनी समीक्षा कृति ''बाल साहित्य के प्रतिमान'' में चर्चा की है . (प्रकाशक - बुनियादी साहित्य प्रकाशन ,रामकृष्ण पार्क , अमीनाबाद , लखनऊ , मो. नं. -९४१५००४२१२ ).<br /><br />ग्रन्थ (''बाल साहित्य के आयाम'' , -डा.धर्मपाल , आलोक पर्व प्रकाशन , दिल्ली ) में पहला बाल कवि नाथूराम शर्मा शंकर को माना गया है . <br /><br />... फ़िलहाल एकदम शुरुआत से देखें और आदिकाल के कवि अमीर खुसरो की इन पहेलियों को याद करें <br />(1)<br />एक थाल मोती से भरा , <br />सबके सर पर औंधा धरा .<br />(2)<br />एक पहेली मैं कहूँ <br />सुन ले मेरे पूत .<br />बाँध गले में उड़ गयी<br />सौ गज लम्बा सूत .<br />(3)<br />बीसों का सर काट लिया , <br />ना मारा ना/खून किया <br />तो क्या यह खड़ी बोली के निकट बाल मन की सरल और श्रेष्ठ रचनाएँ नहीं हैं ? .. और इससे हमारे हिंदी बाल साहित्य की अवधि भी दीर्घकालीन सिध्द होती है .<br /><br />हिंदी साहित्य में आज अमीर खुसरो को खड़ी बोली के प्रवर्तक / उन्नायक के रूप में मान्यता प्राप्त है . हमें भी साधिकार और बड़े ही गौरव के साथ उन्हें पहले बाल कवि के रूप में स्वीकार करना चाहिए .डॉ. नागेश पांडेय संजयhttps://www.blogger.com/profile/02226625976659639261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-63250455114794844742011-05-29T17:50:34.610-07:002011-05-29T17:50:34.610-07:00मनु जी, यही तो आपका बडप्पन है कि इतना कुछ करने के...मनु जी, यही तो आपका बडप्पन है कि इतना कुछ करने के बाद भी आप अपने को कुछ नहीं कहने का साहस जुटा पाते हैं, वर्ना तो आज हर कोई यही बताने में लगाने में लगा हुआ कि मैं ये, मैं वो..<br /><br />एक बात और कहूंगा कि वैसे भी गुलाब को कहां पता होता है कि उसके भीतर कितनी खुशबू भरी हुई है और हीरे को भी कहां पता होता है कि वह दुनिया के लिए कितना कीमती है।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-24780530164561213692011-05-29T08:00:42.341-07:002011-05-29T08:00:42.341-07:00अरे, कितना कुछ लिख दिया तुमने जाकिर। मैं तो कुछ नह...अरे, कितना कुछ लिख दिया तुमने जाकिर। मैं तो कुछ नहीं हूँ, जाकिर, सच मानो कुछ भी नहीं हूँ। तुम्हारे दिल में भावनाएँ ऊँची हैं, उन्हीं ने मुझे बड़ा बना दिया। सच्ची मानो तो जाकिर, मैं इकसठ साल का निरा बच्चा हूँ और बच्चा बने रहने में ही सुख मिलता है मुझे, विद्वान होने में नहीं। और शायद यही चीज है जो मुझे बाल साहित्य का काम करने के लिए उकसाती हूँ। किसी की भी अच्छी रचना पढ़कर मैं पगला सा जाता हूँ, एकदम बेसब्र हो जाता हूँ। और एक छोटे बच्चे की तरह चाहता हूँ कि जो बढ़िया मिठाई मैंने खाई, वो भी इसका थोड़ा तो आनंद लें। और बस, इसी चीज ने हिंदी बाल कविता का इतिहास लिखवा लिया और अब बाल साहित्य का इतिहास लिखवाए जा रही है। <br />तुम्हारे और सभी लेखक मित्रों तथा पाठकों के प्यार के बारे में क्या कहूँ। बस, समझो क मेरी आँखें भीग रही हैं। <br />सुनीता जी कुरुक्षेत्र गई हैं, माँ-पिता जी से मिलने। कल रात तक आएँगी। तब उन्हें भी पढ़वाऊँगा। मुझे लगता है, मेरी तरह वे भी भावुक हो जाएँगी। <br />तुम्हारा ही अपना, बहुत-बहुत अपना...प्र.म.Prakash Manu प्रकाश मनुhttps://www.blogger.com/profile/04172383673707393967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-61848911500452804632011-05-29T06:49:59.728-07:002011-05-29T06:49:59.728-07:00मनु जी, आपके लखनऊ आने और मेरे गरीबखाने पर तशरीफ ला...<b>मनु जी, आपके लखनऊ आने और मेरे गरीबखाने पर तशरीफ लाने को लेकर मैंने अपने ब्लॉग 'मेरी दुनिया मेरे सपने' पर एक पोस्ट लिखी है। आप उसे <a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">यहां पर क्लिक करके</a> देख सकते हैं।</b>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-4775483021508502382011-05-28T22:56:07.653-07:002011-05-28T22:56:07.653-07:00भाई रमेश तैलंग, नीरज और जाकिर,
यह सचमुच कितने सुख ...भाई रमेश तैलंग, नीरज और जाकिर,<br />यह सचमुच कितने सुख की बात है कि हम किसी फरिश्ते जैसी आत्मा वाले उस फकीर को एक साथ मिलकर याद कर रहे हैं, जैसे इनसान आज की दुनिया में होते नहीं हैं और शायद आगे कभी हों भी नहीं। पूरी बीसवीं शताब्दी का इतिहास उस विलक्षण शख्स के शब्दों में उतर आता था, जम हम उसे बोलते सुनते थे। और सरल इतने कि कहा करते थे कि मैं तो किसी नए जनमे बच्चे से भी सीखने को तैयार हूँ। मैंने उनसे खूबसूरत इनसान आज तक नहीं देखा। हँसते थे तो जैसे सफेद उज्ज्वल दाढ़ी पर से हँसी का झरना बह निकलता था। <br />उऩके जन्मदिन पर याद करने के लिए सभी का आभार। <br />सस्नेह, प्र.म.Prakash Manu प्रकाश मनुhttps://www.blogger.com/profile/04172383673707393967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-72463177742254915892011-05-28T10:53:54.957-07:002011-05-28T10:53:54.957-07:00सत्यार्थी जी के बारे में पढ़ कर बहुत अच्छा लगा...व...सत्यार्थी जी के बारे में पढ़ कर बहुत अच्छा लगा...वे निश्चय ही अपनी तरह के अकेले इन्सान थे...देश को उन पर गर्व है..<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-91457014715032189762011-05-28T08:44:59.992-07:002011-05-28T08:44:59.992-07:00कुछ कहानियाँ होती हैं जो एक-दो पाठ में दम तोड़ दे...कुछ कहानियाँ होती हैं जो एक-दो पाठ में दम तोड़ देती हैं पर सत्यार्थी जी कि कथा ऐसी है जो जितनी बार पढ़ो उतनी ही बार आनंद से अभिभूत करती है. कहानी और कथा में यही फर्क है शायद. हरी अनंत हरी कथा अनंता........ आज उनके जन्मदिन पर यह संक्षिप लेख एक सच्ची निश्छल श्रद्धांजलि है आपकी तरफ से जिसमे हम सभी शामिल हैं.रमेश तैलंगhttps://www.blogger.com/profile/05932541742039354339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-47957413320763981812011-05-28T07:49:31.778-07:002011-05-28T07:49:31.778-07:00आपका यह अपनत्व और लगाव हमारे जीवन की सबसे बडी पूं...आपका यह अपनत्व और लगाव हमारे जीवन की सबसे बडी पूंजी है।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-12788025249881366362011-05-28T07:36:15.229-07:002011-05-28T07:36:15.229-07:00प्रिय जाकिर भाई, मेल भेज रहा हूँ। यह फालोअर वाली स...प्रिय जाकिर भाई, मेल भेज रहा हूँ। यह फालोअर वाली समस्या दो दिन से है, जबकि सेटिंग में एड ए गैजेट में फालोअर वाली पट्टी है, जिसे मैंने इधर-उधर हटाकर देखा। पर वह न जाने क्यों एक्टिवेट नहीं हो पा रही है।<br />और हाँ, मेरा उत्साह। इस पर वही जवाब जो मैंने विनायक जी को दिया था और उन्हें काफी बुरा लगा। पर सच यही है जाकिर कि अब हम गुजरे जमाने के लोग हैं। तुम लोगों को काम करते देखकर मन में उत्साह पैदा होता है। बड़ी खुशी मिलती है इसमें कि तुम लोग आगे जाओ और हम बुड्ढों को पछाड़कर आगे निकलो। हम लोग तो तुम जैसे नए जमाने के उत्साही लोगों से सीखेंगे और धीरे-धीरे कदम सँभालते हुए तुम्हारे पीछे-पीछे चलेंगे। कुछ और नहीं, तो तुम जैसे नए जमाने की मशाल थामने वालों के पैरों में रेत बनकर बिछ जाएँ, इतना तो कर ही सकते हैं, ताकि तुम्हारे पैरों में काँटे न चुभें और तुम्हारी राहें आसान हो जाएँ। <br />और अंत में, इतने बढ़िया तीनों संचयन तुने निकाले हैं कि क्या कहा जाए। यह हिंदी और बाल साहित्य की सेवा है, बहुत बड़ी सेवा। आजकल जब अपने से बाहर कोई देखने और सोचने के लिए ही राजी नहीं है, तब तुमने लगभग भुला दिए गए दोनों बाल साहित्यकारों यादराम रसेंद्र और अनंत कुशवाह पर इतने बढ़िया और बेहतरीन संचयन निकाले। खुद तुम्हारा संचयन भी अच्छा है। बस, मन से आशीर्वाद ही निकलते हैं। खूब सुखी रहो और बाल साहित्य के लिए ब़हुत काम करो।<br />उस दिन तुम्हारे घर में आकर कितना अच्छा लगा, यह बयान से बाहर है। मेरी और सुनीता जी की ओर से हमारी प्यारी बहू अर्शिया और बच्चों को बहुत-बहुत प्यार। सस्नेह, प्र.म.Prakash Manu प्रकाश मनुhttps://www.blogger.com/profile/04172383673707393967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-45037125244238740912011-05-28T01:46:25.653-07:002011-05-28T01:46:25.653-07:00फॉलोअर की समस्या गूगल की वजह से लगती है, क्योंकि...फॉलोअर की समस्या गूगल की वजह से लगती है, क्योंकि कई ब्लॉग में यह नहीं दिख रहा है।<br />ब्लॉग के लेबल में आप जो शब्द उपयोग में ला रहे हैं, उनमें कॉमा का भी प्रयोग करें, तो सही रहेगा।<br />और हॉं, आपका मेल आई डी नहीं मिल रहा है। कृपया मेरे मेल आईडी zakirlko@gmail.com पर एक औपचारिक मेल भेज दें, जिससे आपकी मेल आर्डडी ज्ञात हो सके।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-16097626458335833842011-05-28T01:43:02.304-07:002011-05-28T01:43:02.304-07:00मनु जी, आपका उत्साह देख अभिभूत हूँ। सत्यार्थी जी...मनु जी, आपका उत्साह देख अभिभूत हूँ। सत्यार्थी जी के बारे में काफी कुछ जानने को मिला, आभार।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.com