tag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post1961498215741837723..comments2018-05-09T02:43:28.219-07:00Comments on Prakash Manu... प्रकाश मनु: डा. सुनीता का बाल साहित्यPrakash Manu प्रकाश मनुhttp://www.blogger.com/profile/04172383673707393967noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-5770204405653136666.post-20491770826145455002011-05-15T06:07:32.824-07:002011-05-15T06:07:32.824-07:00लेखकमंच वेबसाइट पर प्रकाशित डॉ. सुनीता की बाल कहान...लेखकमंच वेबसाइट पर प्रकाशित डॉ. सुनीता की बाल कहानी रजत की क्यारी में पिल्लै पर मैंने एक छोटा सा कमेन्ट दिया था. संदर्भवश उसे यहाँ भी जोड़ रहा हूँ.<br />वैसे आजकल पत्रिका के बाल साहित्य विशेंशंकों में सुनीता की कहानियों पर मैंने कई बार टिप्पणिया की हैं. उनका सार चंद शब्दों में निम्नवत है.<br /><br />सुनीता की बाल कहानियों की खासियत है कि उनमें छोटी-छोटी पारिवारिक घटनाओं की बड़े ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुति मिलती है. वे अनावश्यक विस्तार से बचती हैं और स्वयं के स्मृतिकोष का इस्तेमाल करते हुए अपने और दूसरों के बचपन को इतने स्वभाविक रूप से कहानी में ढालती हैं कि उसकी कलात्मकता पीछे छूट जाती है- ऐसा बहुत कम बाल कहानी लेखक कर पाते हैं.<br />उनकी बाल कहानियों में पारिवारिक चित्र और चरित्र जीवंत रूप में देखे जा सकते हैं. मैं उनकी बाल कहानियों को शायद इसीलिए अनगढ़ सौंदर्य एवं गँवई सुंगंध से युक्त रचना मानता हूं.रमेश तैलंगhttps://www.blogger.com/profile/05932541742039354339noreply@blogger.com